कलाकार आभावों में ही जीता है ...

आज सुबह अखबार में समाचार पढ़ा के मथुरा आकाशवाणी के एक माझे हुए ब्रज लोकगीत गायक रमेश रावत नही रहे तो बड़ा दुःख हुआ। यह इंसान एक कलाकार होते हुए भी आभावों में जीने को मजबूर था। ब्रज लोकगीत और ब्रज की महिमा को देश-विदेश में पहुचने वाला यह शख्स ज़िन्दगी भर ठोकरें खता रहा और कभी भी एक अच्छी ज़िन्दगी तथा अच्चा रहन-सहन ना पा सका।
वक्त की विडम्बना देखिये रमेश रावत जी की दोनों बेटियों की शादी भी एक आश्रम के सहयोग से हुई। ब्रज का यह जाना-माना कलाकार अभावों में ही दम तोड़ गया। मथुरा के जिला अस्पताल में कल श्री रावत ने अन्तिम साँस ली। उनके गए ब्रज के लोकगीतों ने देश-विदेश में धूम मचाई ,जिनमे प्रमुख हैं..."भूसा बिकाय हमे लाइ दो लटकन ".

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