आज एक आम आदमी के लिए अपने घर-गृहस्थी को चलाना के युद्ध से, लड़ाई से कम नहीं

आज हम और आप जिस तरह से इस बढ़ती हुई महंगाई को झेल रहे हैं क्या आपने कभी सोचा था की जिस सरकार को हम सबने चुना और इन सांसदों को संसद तक पहुंचाया वही सांसद और उनकी सरकार  आम आदमी  के मुंह से निवाला छीन लेगी .साधारण सी बात है आज प्रत्येक घर का रोज़मर्रा का खर्च २०० रुपये से अधि निकल गया है यानी ६००० रुपये तो महीने की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ही अब आम आदमी को चहिये इसमें हारी-बीमारी तथा अन्य खर्चे तो शामिल ही नहीं हैं .कहने का मतलब है इस देश की वर्तमान सरकार ने गरीब तबके के लिए अब भूखों मरने का रास्ता बना दिया है .आज  एक आम  आदमी के लिए अपने घर-गृहस्थी  को चलाना के युद्ध से लड़ाई से कम नहीं वह किस तरह से अपना गुज़ारा कर रहा है इस पर कोई सरकार कोई राजनेता कोई मंत्री ध्यान नहीं दे रहा है बस आज सब इस गरीब का ही खून चूस रहे हैं.इस मंहगाई में कोई रोज़  कैसे मोसमी फल खा सकता है और कोई कैसे अपना स्वास्थ बना सकता है इस आम आदमी के बारे में सोचने के लिए हमारी सरकार के पास वक़्त ही नहीं और मज़े की बात देखिये की इसी आम आदमी ने इस सरकार को चुन कर संसद में भेज दिया और उसी सरकार ने इस आम आदमी के सीने में छुरा घोंप दिया है. इस देश का आम आदमी आज कितना लाचार है यह तो आप जान ही चुके हैं.इस कुशासन  में रोज़ मर कर जी रहा है आम आदमी .शिखर आकाश     

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